गले में खराश एक आम समस्या है। यह अधिकतर तब दिखाई देता है जब मौसम बदलता है। इससे पीड़ित होने पर आपको बहुत दर्द और कुछ भी खाने, पीने या निगलने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
यदि गले में खराश का कोई सामान्य कारण हो तो उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि यह कुछ ही दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन जब ऐसा नहीं होता है तो इसका इलाज मेडिकल तरीके से किया जाता है।
गला (Throat) कारण
आम तौर पर, अत्यधिक धूम्रपान, शराब पीना, ठंडे भोजन के तुरंत बाद गर्म भोजन या गर्म भोजन के तुरंत बाद उन भोजन का सेवन, अत्यधिक अम्लीय भोजन का सेवन, अत्यधिक मौसम, बदलते मौसम के संपर्क में आना, कच्चे फल खाना या परेशान करने वाली गैसें। गले में सूजन और दर्द नाक से सूंघने या मुंह से लेने, बहुत ज्यादा, बहुत जोर से बोलने आदि के कारण होता है। थूक निगलने में भी दर्द होता है।
गला (Throat) लक्षण
गले में सूजन, कण्ठ मे दर्द , थूक निगलने में कठिनाई, कण्ठ में खुजली, कण्ठ में दर्द ,खुश्की, सूखी खांसी और बुखार आदि लक्षण प्रकट होते हैं। गले में सूजन होने पर कभी-कभी बलगम निकलता है या फिर कफ के साथ खून भी आने लगता है। आवाज बैठ जाना और आवाज बैठ जाना भी इसके लक्षण हैं।
आयुर्वेदिक
गले के रोगों में जामुन की छाल के अर्क को पानी में घोलकर ‘माउथवॉश’ की तरह गरारे करने चाहिए।आवाज बैठने पर गन्ने को अदरक के साथ चूसना चाहिए।गले में जलन और सूजन होने पर पालक के पत्तों को थोड़े से पानी में उबालकर उसके गूदे को गर्दन पर बांध लें। कुछ देर में आपको राहत मिल जाएगी।अगर आपके गले में रुकावट है या आप बैठे हुए हैं तो अनानास का जूस धीरे-धीरे पिएं।दस ग्राम अनार के छिलके सौ ग्राम पानी में उबालें, इसमें दो लौंग पीसकर मिला दें।जब पानी आधा रह जाए तो इसमें थोड़ी सी फिटकरी मिला दें। गुनगुने पानी से गरारे करें। गला की खरास दूर हो जाएगी।10 ग्राम लिसोडे (गोंदा) की छाल को 100 ग्राम पानी में धीमी आंच पर उबालें। आधा पानी होना लेकिन उस पानी से गरारे करें। गले की खराश ठीक हो जायेगी।10 ग्राम फिटकरी को तवे पर भूनकर पीस लें। एक-एक ग्राम की दस पुड़िया बना लें। दिन में तीन पुड़िया दूध के साथ खाएं। इससे गले, फेफड़े, श्वास नली और श्वसनी के सारे घाव ठीक हो जायेंगे। यदि कफ जमा होने के कारण थूक के साथ खून आ रहा हो तो वह भी बंद हो जाएगा। दूध वाली चाय, चिकनाई वाली चीजें, तंबाकू, खट्टी चीजें, लाल मिर्च आदि से परहेज करें। गले में सूजन होने पर हरे धनिये को पीसकर उसमें गुलाब जल या बेसन मिलाकर गले पर लगाएं। गले की खराश से छुटकारा पाने के लिए काशीफल या कद्दू की गर्म सब्जी चपाती के साथ खाएं।अगर गले में खराश के कारण आपकी आवाज साफ नहीं आ रही है तो खाना खाने के बाद एक चम्मच घी में एक चुटकी काली मिर्च पाउडर मिलाकर खाएं। आवाज में सुधार होगा।दिन में मुलेठी और मिश्री का चूर्ण चबाते रहें, 24 घंटे में गला साफ हो जाएगा।हल्दी और गुड़ को मिलाकर गुनगुने पानी के साथ निगल लें। 24 घंटे के अंदर आपका गला साफ हो जाएगा। गले की सूजन, जलन आदि से छुटकारा पाने के लिए सिरके को पानी में मिलाकर गरारे करें। आराम मिलता है। गला बैठ जाने या स्वर में खरखराहट होने पर पानी गर्म करके उसमें लहसुन का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह 5 मिनट तक गरारे करें।10 ग्राम कालीमिर्च, 10 ग्राम मुलहठी और 20 ग्राम मिश्री को पीसकर चूर्ण बनाकर एक शीशी में रख लें। रोज सुबह-शाम एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर खाएं। इससे आपकी आवाज सुरीली हो जाएगी। इतना ही नहीं बल्कि इससे पुरानी खांसी, जुकाम और सिरदर्द हमेशा के लिए दूर हो जाता है। यह प्रयोग लगातार दो-तीन महीने तक करना चाहिए। बेर के पत्तों के गूदे में सेंधा नमक मिलाकर गूदे को घी में भूनकर खिलायें।स्वरयंत्र, दमा और खांसी नष्ट हो जाती है।गले में खराश होने पर कूजा मिश्री को मुंह में रखें। गला खुल जायेगा, या कबाब चीनी का प्रयोग करें। ये सभी किराना दुकानों पर उपलब्ध हैं।तुलसी की मंजरी में सेंधा नमक मिलाकर सात दिन तक शाम को सेवन करें और काढ़े में शहद मिलाकर पियें। आवाज मधुर होती है। पत्तागोभी के पत्तों और डंठलों को पानी में औटा कर उस क्वाथ में शहद मिलाकर पिलाने से स्वर मधुर हो जाती है।आवाज को सुरीला बनाने के लिए काली मिर्च और चीनी का काढ़ा नियमित रूप से सुबह और शाम सेवन करने से आवाज सुरीली हो जाती है।इमली, खट्टा दही, अचार जैसे मसालेदार भोजन का प्रयोग न करें।कभी भी गर्म और ठंडी चीजें एक साथ न लें। कुछ दिनों तक बर्फ का प्रयोग न करें, जब इन घरेलू नुस्खों का प्रयोग करें।गले में दर्द या खराश होने पर गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से आपको दर्द में आश्चर्यजनक राहत मिलेगी।सर्दी लगने, रात को जागने, बहुत जोर से बोलने या रात भर गाने से गला बैठ जाए या आवाज मोटी हो जाए तो ऊपर से नमक के पानी से करने।,गले में बाहर से चूना लगाने या 25 ग्राम लिसोड़ा के पत्ते, 25 ग्राम गेहूं का चोकर गले में लगाएं। तुलसी के पत्ते और अदरक को एक साथ उबालकर हल्का नमक डालकर धीरे-धीरे गुनगुना पानी दिन में दो-तीन बार पीने से आराम मिलता है।अमचूर 20 ग्राम, मुलेठी 20 ग्राम, आंवला 20 ग्राम और छोटी इलायची 5 ग्राम- इन सबको बारीक पीस लें. इसमें काली किशमिश के साथ तीस ग्राम पिसी हुई मिश्री मिला लें।इसे पीसकर देशी चने के बराबर गोलियां बना लें। इस गोली को दिन में दो से तीन बार की मात्रा में चूसने से आवाज मधुर हो जाती है, गला सुरीला हो जाता है तथा गले की खराश और खांसी ठीक हो जाती है।ताड़ या खजूर के रस से बनी मिश्री को घोड़ी की तरह मुंह में रखकर चूसने से भी गला साफ हो जाता है।
है। आवाज़ पतली होती है।अदरक की बड़ी गांठ के अंदर थोड़ी सी हींग और काला नमक भरने के लिये जगह बना लीजिये। इस गांठ को सीधे खाने से या हल्की मिट्टी लगाकर आग में भूनने से दिन में कई बार धीरे-धीरे खाने से गले की खराश, भारी गला आदि खुल जाते हैं और आवाज सुरीली हो जाती है। यह गले की खराश में भी बहुत फायदेमंद है। इससे बलगम और पुराना जुकाम जड़ से नष्ट हो जाता है।खीरे, तरबूज़ और खरबूजे के बीज छिलके सहित 15-15 ग्राम लें। 15 दाने काली मिर्च और दो-तीन छोटी इलायची मिलाकर खूब बारीक पीस लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम गाय या बकरी के दूध के साथ सेवन करने से वाणी में मधुरता और मधुरता आती है। यह प्रयोग कुछ महीनों तक करें। इस प्रयोग से मानसिक और शारीरिक शक्ति भी बढ़ती है। काली मिर्च, सौंफ (छोटी), मुनक्का ,बंशफा , बीदाना लगभग 20 ग्राम को मोटा-मोटा पीस लें। एक पाव पानी में उबाल लें। जब पानी 50 ग्राम शेष रह जाये तो इसमें सुबह-शाम मिश्री मिलायें।
इसे पीने से आवाज मधुर और सुरीली हो जाती है।पान की जड़ (कुलंजन) को सरौते से सुपारी की तरह काटकर चूसने या पान के साथ खाने से गला साफ होता है, बैठी हुई आवाज खुल जाती है और गला मधुर और सुरीला हो जाता है।अगर जोर से बोलने के कारण आपका गला बैठ जाता है तो कच्चा सुहागा आधा ग्राम ले कर मुंह में रख कर चूसते रहो। इसके पिघलने के बाद गले की खराश तुरंत ठीक हो जाती है।दो घंटे में गला खुल जाता है।गन्ने के पोर को भूभल में भूनकर चूसने से गले की खराश दूर हो जाती है।अगर गले में आवाज बैठ रही हो या गले में सूजन या लालिमा हो तो ताजे या गर्म पानी में नींबू निचोड़ लें। इसमें नमक मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है। आवाज बैठने पर आम के पत्तों को पानी में गर्म करके उसमें 1-2 चम्मच शहद मिलाएं। इससे गरारे करने या पीने से गला ठीक हो जाता है। काली मिर्च को घी और मिश्री के साथ मिलाकर चाटने से बंद गला खुल जाता है। आठ-दस काली मिर्च पानी में उबालकर उस पानी से गरारे करने से गले का संक्रमण ठीक हो जाएगा। मुलेठी के काढ़े से गरारे करने से कर्कश आवाज साफ होने के साथ उच्चारण भी साफ होता है।दस-दस ग्राम सोंठ और मिश्री को पीसकर शहद में मिलाकर गोली खाने से गला खुल जाएगा। 125 मिलीलीटर गर्म पानी में 2 ग्राम पिसी हुई फिटकरी डालकर दिन में दो-तीन बार गरारे करें। इससे गले की सूजन और दर्द से राहत मिलती है।
गले में खराश होने पर नीम की पत्तियों का काढ़ा (जिसमें काली मिर्च, लौंग, नमक मिलाया जाता है) यह बहुत तेजी से काम करता है।
अगर आपका गला बैठ गया तो इसे सुबह-सुबह जौ चबाकर निगल लें।शहद में नमक मिलाकर चाटने से या सिर्फ नमक के पानी से गरारे करने से आवाज साफ हो जाती है। आम के पत्तों को जलाकर उसका धुआं लेने से गले के अंदरूनी रोग ठीक हो जाते हैं। आम की छाल डिप्थीरिया और गले के अन्य रोगों को ठीक करने में मदद करती है। इसके लिए छाल को पीसकर पतला पेस्ट बना लेना चाहिए। इसका 10 ग्राम मात्रा को 125 ग्राम पानी में डाल कर गरारे करने से दुखते गले में आराम मिलता है। पानी में आम के पत्ते डालकर उबाल लें। जब एक चौथाई पानी शेष रह जाए तो इसे उतारकर ठंडा कर लें। इसमें 1-2 चम्मच शहद मिलाकर गरारे करें और पीने से गला ठीक हो जाता है। जायफल को पानी में इतनी देर तक घिसें कि आधा चम्मच पेस्ट निकल जाए। इस पेस्ट को एक गिलास पानी में घोलकर गरारे करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं और गले की खराश ठीक हो जाती है।कुल्थी और कालीमिर्च का काढ़ा बनाकर पीने से कण्ठमाला रोग ठीक हो जाता है।बहुत अधिक या ऊंची आवाज में बात करने और ठंडा या गर्म होने या चिकना पदार्थ या ठंडा पानी पीने से गला बैठने लगता है और बोलने में कठिनाई होती है। ऐसे में काली मिर्च और मिश्री चबाने से गला खुलने में मदद मिलती है।एक चम्मच गेहूं की भूसी को एक कप पानी में ढक्कन लगाकर उबालें। इसे चाय की तरह इसमें दूध और चीनी मिलाएं और इसे घूंट-घूंट करके पिएं। बैठा हुआ गला चलने लगेगा।2-3 ग्राम बरगद के हरे पत्तों का रस निकालकर पियें। बैठे-बैठे गला खुल जायेगा।आक के फूलों को पीसकर गले पर लेप करें। बैठे-बैठे गला खुल जायेगा।यदि आपके गले में खराश है तो दस ग्राम सौंफ, तीन ग्राम छोटी इलायची, पांच ग्राम मुलेठी और दस ग्राम मिश्री को पीसकर दस ग्राम शहद में मिला लें। मटर के आकार की गोलियाँ बना लें और एक के बाद एक चूसते रहें।अगर गले में सूजन हो और सोते समय कफ बनता हो तो सोंठ और अकरकरा के चूर्ण को शहद में मिलाकर पीस लें। चने के आकार की गोलियां बनाकर सुबह, दोपहर और रात को भोजन के बाद चूसें।अगर आपके गले में खराश है तो शहद में मुलेठी का चूर्ण मिलाकर चाटें। रात को एक मुट्ठी चने भिगो दें, सुबह उन चनों को मसलकर 250 ग्राम दूध में उबाल लें। इसमें दो चम्मच शहद मिलाकर घूंट-घूंट करके पिएं। स्वरयंत्र खुल जाएगा। मोलसारी के फूलों के जोशान्दा से गरारे करने से गले के दर्द में राहत मिलती है।मूली का रस और पानी बराबर मात्रा में मिलाकर, नमक मिलाकर गरारे करने से गले की खराश और सूजन ठीक हो जाती है।गले में खराश के कारण उत्पन्न खांसी में हल्दी की एक गांठ को मिट्टी (गर्म राख) में दबा लें, भून लें, पीस लें, तीन-तीन ग्राम की गांठें बना लें और हल्दी की एक गांठ सुबह-शाम लें। इसे शहद के साथ मिलाकर चाटने से आपको दो-तीन दिन में ही पूरा फायदा मिल जाएगा। अंजीर के दूध को पानी में मिलाकर गरारे करने से गले के दर्द और सूजन में राहत मिलती है। सर्दियों में खांसी के कारण आवाज बैठ जाने पर 4-5 ग्राम मूली के बीजों को पीसकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से आवाज खुलने में मदद मिलती है।आवाज कम हो जाने पर बबूल की छाल के काढ़े से कुल्ला करें।पीपल के ताजे पत्ते चबाने से आवाज साफ हो जाती है।पान में जायफल रखकर चूसने से आवाज अच्छी होती है। हरड़ को चूसने से आवाज अच्छी हो जाती है।मुंह से आवाज न निकल रही हो तो मुलेठी चूसने से लाभ होता है।अगर किसी कारण से गले में सूजन हो गई हो तो लौंग को आग पर भूनकर चूसने से फायदा होता है।आंवले को पीसकर पानी के साथ लेने से आपका गला खुल जाएगा और आवाज साफ हो जाएगी।शलजम को पानी में उबालकर उस पानी में चीनी मिलाएं और गर्म-गर्म पिएं। बैठा गला खुल जायेगा।पालक को उबालकर छान लें. इस गर्म पानी से गरारे करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।गले में दर्द और सूजन हो तो दो चम्मच सूखा साबुत धनिया चबाएं और हर तीन घंटे पर रस चूसते रहें। गर्मी के कारण गले में होने वाले दर्द के लिए विशेष लाभकारी है। स्वाद के लिए मिश्री के साथ चबा सकते हैं। गले में सूजन और खराश होने पर अनानास खाने से फायदा होता है।शहतूत गले के रोगों में लाभकारी है।शलजम का साग गले की खराश से पीड़ित, गाने वाले और भाषण देने वाले लोगों के लिए फायदेमंद होता है। गले में सूजन होने पर एक चम्मच शहद दिन में तीन बार चाटने से लाभ होता है।,अगर आपका गला बैठ गया है तो एक कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर गरारे करने से आपकी आवाज ठीक हो जाएगी।गले में आवाज बैठने या सूजन होने पर नमक की एक डली मुंह में रखें और धीरे-धीरे चूसें।सोने से पहले एक खजूर को दूध में उबाल लें। इसे लेने के दो घंटे तक पानी न पियें। यह कठोर, कठोर आवाज को साफ़ कर देगा।https://gyanwithawareness.com/
विशेष चमत्कारी प्रयोग
जामुन की गुठलियों को बारीक पीसकर शहद में मिलाकर छोटी बेर के आकार की गोलियां बनाकर मुंह में रखें और चूसें। बंद गला और आवाज का भारीपन ठीक हो जाएगा। लंबे समय तक प्रयोग से बिगड़ी आवाज ठीक हो जाती है। ज्यादा बोलने और गाने वालों के लिए इसका एक विशेष चमत्कारी प्रयोग है।