जी मिचलाना उल्टी होने या उल्टी करने की इच्छा होने की अनुभूति है।
आयुर्वेदिक उपाय
जी मिचलाने की स्थिति में मुंह का स्वाद सुधारने के लिए काली मिर्च को चबाकर खाया जाता है।
मुलेठी का सेवन करने से जी मिचलाना और खट्टी डकारें आना बंद हो जाता है।
जायफल को पानी में घिसकर लेप करने और पानी में मिलाकर पीने से जी मिचलाना बंद हो जाता है।
अपच, उल्टी, जी मिचलाना, पेट का दर्द और बेचैनी में लौंग का तेल बहुत उपयोगी है। यह वायुनाशक है।
जी मिचलाना, उल्टी आना या खट्टी डकारें आने पर 4 रत्ती कुठार रस, 1 ग्राम सोडावाइकार्ब में पांच बूंद अमृतधारा मिलाकर देने से तुरंत राहत मिलती है।
जी मिचलाना, घबराहट या बेचैनी महसूस हो तो एक या दो लौंग मुंह में रखकर चूसें लाभ मिलता है।
जी मिचलाने पर टमाटर खाएं।
ठंडे पानी में गर्म नींबू और चीनी मिलाकर पीने से जी मिचलाने की समस्या से राहत मिलती है।
जी मिचलाने की समस्या होने पर संतरे का सेवन फायदेमंद होता है। कार से यात्रा करते समय संतरे का सेवन करते रहना चाहिए।
जी मिचलाने पर प्याज और नमक साथ खाने से फायदा होता है।
अगर सफर के दौरान खान-पान की गलत आदतों के कारण आपको जी मिचलाने लगता है तो लहसुन की कली चबाने से जी मिचलाने से राहत मिलती है।
अखरोट खाने से मतली से राहत मिलती है।
2 लौंग को पीसकर आधे कप पानी में मिलाकर गर्म करके पीने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है।
अजवाइन और लौंग के फूल वाले भाग को अच्छी तरह पीस लें। इसे सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से जी मिचलाना दूर हो जाता है।
मिट्टी का पुराना दीपक आग में रखें, जब वह लाल हो जाए तो उसे पानी से बुझा दें, उसका पानी पिला दें, जी मिचलाना ठीक हो जाएगा।
एक चम्मच तुलसी का रस पियें, या शहद मिलाकर चाटें।
जीरे को नींबू के रस में भिगोकर और नमक डालकर खटाई का जीरा बनायें । जब मिचली आ रही हो या फिर गर्भवती महिला की जी मिचलाना या उल्टी आदि में भी यह लाभकारी है।