कान में भारीपन और दर्द – कारण, जानिए 51 Authentic घरेलु उपचार

कान की समस्याएँ कई प्रकार की होती हैं। उदाहरण के लिए, कान में दर्द, कान में संक्रमण, कान में मवाद लगना।
कुछ लोग कान की बीमारियों के साथ पैदा होते हैं जबकि अन्य लोगों में समय के साथ धीरे-धीरे कान की बीमारियाँ विकसित हो सकती हैं। संक्रमण और कैंसर के कारण भी सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है।

कान में दर्द का कारण

कान
कान में दर्द का कारण

सर्दी के कारण,कर्ण को बार-बार कुरेदने,पानी चला जाना, चोट लगना, अधिक मैल जम जाना या फुंसियां ​​बन जाना, सूजन,चर्मरोग का दब जाना आदि कारणों से टपकन सा दर्द या सुई चुभने जैसा दर्द हो जाता है।

कान बहने का कारण

आतशक,तपेदिक,कण्ठमूलग्रंथि-प्रदाह,जुकाम,कान में गन्दा पानी चला जाना, खसरा, काली खांसी आदि रोगों के कारण यह रोग हो जाता है।

कान में दर्द के लक्षण:


कानों में भारीपन, कानों में शूल, शिरशूल, पलकों पर सूजन या भारीपन, सूजन, सर्दी के साथ बुखार, कानों घूं -घूं का शब्द, सुनने की शक्ति कम होना, खून, बलगम, मवाद निकलना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।
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कानों में आवाज आना:

इस रोग में कानों में गुनगुनाहट, फुसफुसाहट या घंटियों की आवाज सुनाई देती है। ध्वनि सुनाई देती है।मानसिक कमजोरी, कान में सूखापन या कीड़ा चले जाने पर कान में के खड़खड़ाहट हो सकती है।

घरेलू उपचार

  • सरसों का तेल 20 मिली, बोरिक एसिड 5 ग्राम। सबसे पहले सरसों के तेल को गर्म करके उसमें बोरिक एसिड मिलाएं और हल्का गर्म रहने पर ही इसे कान में डालें। दर्द और पिछले 10 साल से आ रहे मवाद निकलना बंद हो जाएगा। पंद्रह दिन तक प्रयोग करें।
  • मुलेठी को घी में मिलाकर हल्का गर्म करें और कानों के आसपास लगाएं। दर्द में राहत मिलेगी।
  • अरंडी के पत्तों को गर्म तिल के तेल में डुबोकर दर्द वाले कर्ण के आसपास धीरे-धीरे लगाएं।
  • सरसों के तेल में अदरक का रस मिलाकर गुनगुना गर्म कर लें। फिर इसकी कुछ बूंदें दर्द वाले कान में डालें। राहत मिलती है।
  • गोंद के पत्तों के रस को गर्म करके कर्ण में डालें। दर्द से राहत दिलाता है।
  • कर्ण में मवाद आने पर गुग्गुल का धुआं कान पर लें।
  • कलिहारी की जड़ के रस में त्रिकुट का चूर्ण मिलाकर कान में डालने से कृमि नष्ट हो जाते हैं।
  • शालवृक्ष की छाल और बनकपास कास की छाल को शहद में मिलाकर 2-4 बूंद कान में डालने से कर्ण श्राव में लाभ होता है।
  • गाय के मूत्र में शुद्ध हरड़ का चूर्ण मिलाकर कान में टपकाने से कर्ण बहने में लाभ होता है।
  • नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से कान साफ ​​करें। इसके बाद निबोली के तेल को गर्म करके इसकी 2-4 बूंदें दिन में 2 बार कान में डालें।कर्ण की खुजली से राहत दिलाता है।
  • सहिजन की जड़ का रस, केले की जड़ का रस, अदरक का रस और शहद को बराबर मात्रा में मिला लें और इसमें चौथाई भाग तिल का तेल डालकर पकाएं। इस प्रकार तैयार तेल की 2-4 बूंदें रात को सोने से पहले कर्ण में डालने से बहरेपन में लाभ मिलता है।
  • इसके अलावा बिल्व तेल, नींबू तेल, लहसुन तेल और सप्तगुण तेल का उपयोग कर्ण के रोगों में किया जाता है।
  • प्याज को गर्म राख में भूनकर उसका रस निचोड़कर कर्ण में डालें, दर्द से राहत मिलेगी।
  • एक चम्मच तिल के तेल में एक कली लहसुन, एक तोला सिन्दूर डालकर पका लें। जब लहसुन जल जाए तो तेल को छानकर एक बोतल में भर लें। इसकी दो बूंदें रोजाना कान में डालें इससे मवाद, खुजली, कर्ण का बहना, कानों में आवाज आना आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
  • कान में घंटियां बजने की समस्या होने पर एक चम्मच सोंठ, 25 ग्राम गुड़ और एक चम्मच घी मिलाकर और गर्म करके खाना फायदेमंद होता है।
  • अगर आपके कान में दर्द है या कान में घाव है तो नीम की पत्तियों को पानी में उबाल लें और उसमें उठती भाप पर कान को झुकाकर उसमें भिगो दें। लाभ होगा।
    लहसुन, मूली और अदरक का रस मिलाकर हल्का गर्म करके कान में बूंद-बूंद करके डालें।कर्ण में पके फुंसी जल्दी नष्ट हो जाएगी हैं।
  • पीपल के चूर्ण को धुंआ रहित अंगारों पर रखें। इससे निकलने वाले धुएं को एक पाइप के जरिए दुखते कर्ण में प्रविष्ट कराएं दर्द ठीक हो जाता है।
    पुदीने का रस कर्ण में डालने से कर्ण के कीड़े मर जाते हैं।
  • कर्ण बहने पर एक कप गुनगुने पानी में चौथाई चम्मच फिटकरी पाउडर मिलाकर कान धोने से आराम मिलता है।
  • भुने हुए फिटकरी चावल भर कर्ण में डालकर और ऊपर से नींबू का रस डालने से कान के दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
  • चुकंदर के पत्तों का गुनगुना रस कान में डालने से कर्ण का दर्द बंद हो जाता है।
  • मूली के सूखे पत्तों की राख को तिल के तेल में मिलाकर तेल को पकाएं। कान में डालने से दर्द दूर हो जाता है।
  • प्याज को कुचलकर बारीक कपड़े से निचोड़कर रस निकाल लें, इस रस को थोड़ा गर्म करके दो-तीन बूंदें कर्ण में डालें। कैसा भी दर्द हो राहत मिलेगी। कर्ण का बहना, मवाद आना, बहरापन आदि होने पर भी यह प्रयोग तब तक जारी रखें जब तक लाभ न हो।
  • बहने की शिकायत हो तो लहसुन के साथ नीम की दस कोंपलें या पांच-सात पत्तियां लें।सरसों के तेल में पकाकर कपड़े से छान लें।फिर कुछ दिनों तक रात को सोने से पहले दो बूंद कान में डालते रहें। इससे घाव और बहना ठीक हो जाता है।
  • लहसुन की एक गाँठ में से दो कलियाँ लें और उन्हें छील लें। – अब इसमें दो चम्मच सरसों का तेल डालकर धीमी आंच पर गर्म करें. जब लहसुन काला पड़ने लगे तो तेल के बर्तन को आग से उतार लें और तेल को कपड़े से छान लें। इस गुनगुने तेल की दो-चार बूंदें रुई के फाहे से कर्ण में डालें। इससे दर्द से राहत मिलेगी और कान में जमी गंदगी भी बाहर निकलने में आसानी होगी।
  • कीड़ा जाने पर सरसों का तेल गर्म करके कर्ण में डालने से कीड़ा तुरंत निकल बाहर जाता है।
  • तुलसी के पत्तों के रस को कपूर के साथ मिलाकर हल्का गर्म करके कर्ण में डालने से दर्द तुरंत दूर हो जाएगा।
  • थोड़ी हल्दी लें, उससे दोगुनी मात्रा के पानी में बारीक पीस लें, छान लें, इस मिश्रण में बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाएं और धीमी आंच पर पकाएं। जब हल्दी पक कर केवल तेल रह जाए तो इसे छानकर एक शीशी में भर लें। कुछ गुनगुना करके दो-तीन बूंदें कान में डालें। इससे बहना ,मवाद आना बंद हो जाएगा।
  • जामुन की गुठली के चूर्ण को सरसों के तेल में उबालकर कपड़े से छान लें। यह तेल बहते हुए कान में डालने से कुछ ही दिनों में बहना बंद हो जाता है।
  • दर्द हो तो ताजे हरे आम के पत्तों का रस निकालकर उसे गुनगुना गर्म कर लें। इसे डालने से लाभ होता है।
  • इमली की पत्तियों के रस को तिल के तेल में उबालकर कान में डालने से कर्ण का दर्द ठीक हो जाता है।
  • कानों को रुई के फाहे से साफ करें, गुनगुने गाय के दूध में मेथी घिसें और हल्का गर्म करके टपका दें। ऐसा कुछ दिनों तक करने से कान बहने के रोग से छुटकारा मिल जाता है।
  • हल्दी या भुनी हुई फिटकरी का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर कान में छिड़कें और फिर निकाल दें। यह प्रयोग लाभ मिलने तक करें। इस प्रयोग से कर्ण का बहना बंद हो जाता है। ऐसा दिन में एक बार करें और दूसरी बार इस्तेमाल करने से पहले कानों को रूई से साफ कर लें।
  • तरबूज का तेल -कर्ण बहने की समस्या में तरबूज का तेल बहुत फायदेमंद होता है, इसे इस प्रकार तैयार किया जाता है
  • सामग्री: जलकुंभी कल्क – 160 ग्राम, तिल का तेल – 640 ग्राम, जलकुंभी का रस • 2 किग्रा. 560 ग्राम उपरोक्त सभी को ‘तेल पाक विधि’ का उपयोग करके पकाएं। जब तेल तैयार हो जाए तो इसे कपड़े से छानकर किसी बोतल में भर लें। ‘कुम्भी का तेल’ तैयार है. नियमित रूप से कर्ण साफ ​​करने के बाद इस तेल की कुछ बूंदें कर्ण में डालने से कान बहना बंद हो जाता है।
  • 10 बूंद अजवायन के तेल में 30 बूंद (अनुपात 1-3) शुद्ध सरसों का तेल मिलाकर धूप में फाहा लगाएं।या फिर इसे धीमी आंच पर गुनगुना करके 4-5 बूंद दर्द वाले कान में डालें और ऊपर से साफ रुई का फाहा लगा लें। यदि संभव हो तो अजवाइन की पोटली में रेत मिलाकर थोड़ी सिंकाई करें। ऐसा दिन में 2-3 बार करने से फायदा होगा।
  • कान बहने पर केले के पत्ते के रस में समुद्री झाग मिलाकर कान में डालें।
  • सुहागा को बारीक पीसकर 2 दाने कान में डालें और ऊपर से 5-6 बूंद नींबू का रस निचोड़ दें। तुरंत एक प्राकृतिक गैस उत्पन्न होगी और सारी गंदगी घुलकर बाहर आ जायेगी।
  • एक गिलास पानी में एक चम्मच नमक डालकर उबालें और ठंडा होने पर इसकी दो-तीन बूंदें कान में डालें। इससे कर्ण का दर्द ठीक हो जाता है। अगर कर्ण में कीड़ा चला गया हो तो कर्ण में पानी डालें। कीड़ा बाहर आ जाता है.
  • तुलसी के पत्तों के रस को गर्म करके कान में डालने से दर्द से राहत मिलती है। अगर कर्ण बह रहा हो तो भी कुछ दिनों तक लगातार इसे लगाने से बहना ठीक हो जाता है।
  • यदि कान में दर्द कान में मैल जमने, फुंसी होने, चोट लगने या सर्दी लगने के कारण हो तो अदरक के रस को कपड़े से छानकर, हल्का गर्म करके कान में डालने से लाभ होता है
  • आम के पत्तों पर तेल लगाकर सेंकने और उसका रस कान में डालने से कान के सभी रोग ठीक हो जाते हैं।
  • गुलाबी फिटकरी, केसर और एलुआ प्रत्येक 1 ग्राम, तुलसी के पत्तों का रस 89.648 ग्राम। उपरोक्त तीनों द्रव्यों को कपड़े से छानकर स्वरस में मिला लें और गर्म करके सुबह-शाम 4-5 बूंद लें।इसे कान में डालो. कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से बहरापन दूर हो जाता है।
  • 11.664-11.664 ग्राम लौंग और अनार के छिलके, 4 ग्राम सुहागे की खील , 2 ग्राम कस्तूरी और 34.992 ग्राम बादाम रोगन लेकर अच्छी तरह मिला लें, आग पर गर्म करके छान लें। दवा को सुबह-शाम थोड़ा गर्म करके 5 बूँद कान में डालें और रुई लगा लें। इससे बहरेपन में आराम मिलता है।
  • चार चम्मच मूली के रस में एक चम्मच तिल या सरसों का तेल मिलाकर गर्म कर लें। जब सब पानी जल जाए तो उसे छानकर अलग रख लें। इस तेल की एक या दो बूंद कान में डालने से कान का दर्द और खुजली दूर हो जाएगी।
  • लहसुन का तेल कान दर्द के लिए फायदेमंद है।
  • सिरस के पत्तों के रस को हल्का गर्म करके कान में डालें। कान का स्राव और सूजन दूर हो जाएगी।
  • सिरस के पत्तों को पीसकर हल्का गर्म करके पोटली बनाकर कान के नीचे लगाएं। दर्द दूर हो जाएगा।
  • लाल मिर्च के बीजों को हाथ में पानी लेकर मसल लें और उस पानी को कर्ण में डालें। लगेगा लेकिन दर्द जरूर दूर हो जाएगा.
  • सुदर्शन के पते पर थोड़ा सा घी लगाकर गर्म कर लें, फिर उसका रस कर्ण में डालें। दर्द तुरंत बंद हो जाता है।
  • गौमूत्र की दो-तीन बूंदें डालने से दर्द दूर हो जाता है।
  • स्त्री के दूध की तीन-चार बूंदें प्रतिदिन डालने से का दर्द और जलन ठीक हो जाती है।
  • दर्द हो तो घी की दो-तीन बूंदें डालें।
  • दर्द हो या बह रहा हो तो दस से बारह ग्राम सरसों का तेल और एक छोटी शीशी अमृतधारा मिलाकर अच्छी तरह बंद करके रख लें। दर्द होने पर कान में चार-पांच बूंद डालने से तुरंत आराम मिलेगा।
  • यदि आपके कान में कीड़े हो गये है तो बैंगन को जलाकर उसका धुंआ कान में डालें। सारे कीड़े बाहर आ जायेंगे।
  • हरे आम का बौर नीचे गिर जाता है तो उसे लें और पीसकर रस निकाल लें। कुछ बूंदें रस की और कुछ बूंदें सरसों के तेल की मिलाकर कान में डालें। इनकी गर्मी से फोड़ा निकल जाएगा। यदि कान से मवाद बह रहा हो या कान में दुर्गंध आ रही हो तो कान के चारों ओर रुई लपेटकर मवाद साफ करें। फूली हुई फिटकरी छिड़कें।
  • रात को सोने से पहले ताजा प्याज के रस की बूंदें कान में डालें और दो मिनट बाद इसे बाहर निकाल दें। इसके बाद पिसी हुई फिटकरी छिड़कें।
  • दस ग्राम कड़वा तेल, पांच ग्राम पिसी हुई फिटकरी और थोड़ी सी पिसी हुई हल्दी मिलाकर पकाएं।
  • कानों में दो बूंदें डालकर रुई से बंद कर लें और सो जाएं। तीन-चार दिन में ठीक हो जाएगा।

कान के दर्द का रामबाण इलाज

  • कुत्ते के मूत्र की 3-4 बूँदें कई वर्षों तक नियमित रूप से या ड्रॉपर के माध्यम से कर्ण में डालने से। वर्षो पुराना कर्ण बहने का रोग दूर हो जाता है।
  • हाथी का ताजा गोबर लें और कपड़े से उसका रस निकाल लें। अब इस रस में थोड़ा सा काली मिर्च का पाउडर मिलाएं और दो पान के पत्तों का रस भी मिलाएं और इस तैयार तरल मिश्रण की दो-तीन बूंदें कर्ण में डालें। इस प्रयोग को नियमित रूप से करने से पुराने कर्ण श्राव भी दूर हो जाते हैं।
  • अगर कर्ण में चींटी या कोई कीड़ा चला जाए तो फिटकरी को पानी में घोलकर कर्ण में डालें।
  • प्याज के छिलके को तवे पर अच्छी तरह भून लें। उसके भीतर के कोया को गर्म अवस्था में ही कर्ण के अंदर डालने से कर्ण का दर्द बहुत जल्दी दूर हो जाता है।
  • चंदन का तेल कान में डालने से कर्ण का दर्द तुरंत दूर हो जाता है।
  • लौकी के रस में दूध पिलाने वाली स्त्री का दूध मिलाकर कान में डालने से कर्ण का दर्द दूर हो जाता है।
  • कान बहना – 3 से 7 दिन पुराना गौमूत्र छानकर किसी बोतल में रखें और ढक्कन बंद कर दें। प्रतिदिन कर्ण साफ ​​करें और बहते हुए कान में 3-4 बूंदें डालें।
  • अपने मूत्र को मिट्टी की कटोरी में गर्म कर लें। गुनगुना हो तो ड्रॉपर की सहायता से दोनों कानों में 3-4 बूंदें डालें और कानों को रुई से बंद कर दें। इस विधि का प्रयोग लगातार कुछ दिनों तक करने से कर्ण के सभी रोग जैसे कान में दर्द होना, कर्ण का पकना और निकलना,कर्ण से मवाद निकलना, कम सुनाई देना तथा बिल्कुल भी सुनाई न देना आदि रोग दूर हो जाते हैं।

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