गठिया, अर्थराइटिस को खत्म देते हैं ये 50 Best घरेलू उपाय

गठिया / अर्थराइटिस जोड़ों में सूजन और दर्द से जुड़ी बीमारी है। जिसे गठिया या आमवात कहते हैं। जोड़ों का दर्द गठिया रोग का मुख्य कारण होता है।

गठिया/अर्थराइटिस
गठिया/अर्थराइटिस

गठिया के कारण:

  • यह रोग अधिकतर बसंत एवं वर्षा ऋतु में तथा विशेषकर आर्द्र एवं गर्म स्थानों में होता है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होता है। ऐसा आमतौर पर 15 से 30 साल की उम्र के युवाओं को होता है। 30 साल से अधिक उम्र के लोगों में इसकी संभावना कम होती है। यह एक वंशानुगत बीमारी है.
  • एक बार जब यह बीमारी हमला कर देती है तो दोबारा इसका हमला होने का डर रहता है। यह रोग उन लोगों में होता है जो मशीनी चावल, मशीन से पिसा हुआ और अच्छी तरह से छना हुआ आटा, मैदा, मावा, बहुत अधिक सफेद चीनी, गर्म मसालेदार मसाले, चाट, अंडे, मछली, शराब आदि का अधिक सेवन करते हैं। जो लोग काम और कठोर व्यायाम करते रहे है और फिर बाद में छोड़ देने से भी गठिया रोग हो जाता है।
  • गठिया/अर्थराइटिस
    गठिया/अर्थराइटिस

    गठिया के लक्षण

    में जोड़ों में दर्द, भोजन के प्रति अरुचि, अधिक प्यास लगना, आलस्य, शरीर भारी महसूस होना, कभी-कभी बुखार आना, कुछ भी खाया हुआ पच न पाना, किसी अंग का सुन्न हो जाना शामिल हैं। प्रभावित जोड़ अत्यधिक दर्दनाक हो जाता है। छूने या हिलने-डुलने पर भी दर्द होता है। हाथ, पैर, सिर, टखने, घुटने, अंडकोष और जोड़ों में दर्द, सूजन आदि होती है। एनीमिया थोड़े ही समय में हो जाता है

    आयुर्वेदिक उपचार

    • अर्थराइटिस रोग में जावित्री और सोंठ एक-एक ग्राम गर्म पानी के साथ देने से लाभ होता है।
    • कच्चे नारियल के रस को पका लें। पकने के बाद इसमें से तेल निकलेगा। उस तेल में पिसी हुई काली मिर्च और सरसों के बीज मिलाकर अर्थराइटिस रोग से पीड़ित जोड़ों पर मालिश करें। एक माह के अंदर लाभ होगा।
    • जावित्री,जायफल और अश्वगंधा का चूर्ण क्रमशः एक भाग और दो भाग लेकर चूर्ण बनाकर तीन ग्राम रोजाना दूध के साथ लेने से रोग दूर होते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
    • अर्थराइटिस की सूजन पर करेले की चटनी पीसकर लगाने से सूजन कम हो जाती है और इसके बाद करेले के रस में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करने से भी दर्द कम हो जाता है।
    • अखरोट का फल अर्थराइटिस रोग में लाभकारी होता है।
    • अर्थराइटिस के दर्द,

    • बदन दर्द, सिरदर्द आदि तमाम दर्दो पर पिपरमेंट का तेल लगाने से फायदा होता है।
      यह त्वचा में बहुत आसानी से प्रवेश करके अपना काम करता है।
    • अगर गठिया के कारण जोड़ों में दर्द हो रहा है तो दर्द वाली जगह पर गीली मिट्टी का लेप लगाएं और ऊपर से सेंक करते रहे। दर्द ख़त्म हो जायेगा।
    • बिनौला का तेल मलने से अर्थराइटिस ठीक हो जाता है।
    • यदि अर्थराइटिस रोग की प्रारंभिक अवस्था हो तो दस ग्राम पिसी हुई सौंठ, सौ ग्राम पानी में उबालें। तीन भाग पानी सूख जाने पर रोगी को पिलाने से रक्त संचार सुचारू हो जाएगा और उसे आराम महसूस होगा।
    • 25 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम हरड़ और 15 ग्राम अजमोद को पीसकर कपड़े से छानकर 3-4 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लेने से अर्थराइटिस रोग में लाभ होता है।
    • वात और कफ मिश्रित गठिया में सोंठ, काली मिर्च, पीपल, लहसुन, सफेद जीरा और तीनों नमक 25-25 ग्राम, हींग पांच ग्राम, घी में भुना हुआ चूर्ण तीन-चार ग्राम, अदरक का रस और शहद तीन लें। दिन में एक बार। साथ चाटने से लाभ होगा।
    • 25 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम हरड़ और 15 ग्राम अजवायन, 10 ग्राम सेंधानमक, सबका चूर्ण बना लें।इस चूर्ण को 3 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम गर्म पानी के साथ लेने से अर्थराइटिस रोग ठीक हो जाता है।
    • गठिया या वातरोगों में अडूसा की पत्तियों को गर्म करके सेंकने से सूजन और दर्द कम करने में असरदार होता है।
    • लहसुन के रस में कपूर मिलाकर मालिश करने से अर्थराइटिस और वात रोग ठीक हो जाते हैं।
    • सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर गठिया रोग से पीड़ित स्थान पर मालिश करने से लाभ मिलता है।
    • बरगद के मोटे पत्तों की चिकनी सतह पर गर्म तिल का तेल लगाएं। इसे गठिया वाले स्थान पर बांधें। ऐसा 2-4 महीने तक नियमित करने से गठिया रोग दूर हो जाएगा।
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    • 10 ग्राम कपूर और 400 ग्राम तिल के तेल को एक शीशी में भरकर अच्छे से कॉर्क लगाकर धूप में रख दें। जब दोनों चीजें मिल जाएं तो गठिया के दर्द वाली जगह पर मालिश करें।
    • गर्म पानी में दस ग्राम शहद घोलें। इसमें पांच बूंद नींबू का रस मिलाकर पिएं। गठिया रोग से पीड़ित रोगी को शहद का सेवन अधिक मात्रा में करना चाहिए।
    • रोगी को आधा किलो बथुआ का रस 20 ग्राम की मात्रा में पिलाते रहें। थोड़ी देर बाद दो बड़े लाल टमाटर काट कर उन पर सेंधा नमक और काली मिर्च छिड़क कर खिलायें।बथुए का रस निकालकर बथुए को आटे में लपेटकर, रोटी बनाकर रोगी को खिलाएं।
    • घी में हींग मिलाकर मालिश करने से दर्द से राहत मिलती है। इसकी मालिश से हाथ, पैर और जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। यह तेल नाड़ियों को मजबूत और शक्तिशाली बनाता है।
    • आधा चम्मच लहसुन का रस और एक चम्मच शुद्ध घी मिलाकर कुछ दिनों तक सुबह के समय नियमित रूप से पीने से अर्थराइटिस रोग ठीक हो जाता है।
    • गिलोय को सोंठ के चूर्ण के साथ लेने से अर्थराइटिस रोग ठीक हो जाता है।
    • गठिया, साइटिका और पार्श्वशूल जैसे वायु रोगों पर हरी मिर्च का स्थानीय लेप लगाने से आराम मिलता है।
    • अश्वगंधा चूर्ण दो भाग, सोंठ एक भाग और मिश्री तीन भाग के अनुपात में मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद गर्म पानी के साथ सेवन करें। यह प्रयोग गठिया, आमवात, गैस तथा अन्य उदर विकारों में लाभकारी पाया गया है।
    • गूलर के पत्तों का रस पीने से अस्थमा, हृदय रोग, दोष आदि ठीक हो जाते हैं
    • पत्तागोभी, चुकंदर और फूलगोभी का सेवन करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
    • अमरूद की मुलायम पत्तियों को पीसकर पानी में मिलाकर पियें। एक सप्ताह में जोड़ों का दर्द ठीक हो जाएगा।
    • यदि रींगन बाय हो तो पांच ग्राम फिटकरी, पंद्रह ग्राम मीठी सुरंजान और एक ग्राम बबूल का गोंद भूनकर पानी के छींटे मारकर एक साथ पीस लें। बेर के आकार की गोलियाँ बना लें। गोली दिन में तीन बार लें।
    • आम की गुठली की गुठली से तेल निकलवा लें। इस तेल के प्रयोग से पुराना गठिया रोग भी ठीक हो जाता है।
    • जब तक अंगूर बाजार में उपलब्ध हैं, आप इन्हें हर दिन खा सकते हैं। अर्थराइटिस रोग दूर हो जायेगा।
    • अजवायन चबाने से शरीर के दर्द और अर्थराइटिस से राहत मिलती है।
    • अश्वगंध नागौरी और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर कूट लें और कपड़े में छानकर सुरक्षित रख लें। प्रतिदिन 5 ग्राम चूर्ण लें और ऊपर से गाय का दूध पियें। जोड़ों के दर्द में राहत मिलेगी।
    • अर्थराइटिस आमतौर पर कब्ज के कारण होता है। पसलियों में दर्द होता है। रीठा के छिलके को बारीक पीस लीजिये इसे शुद्ध शहद के साथ मिलाएं। रात को एक माशा दूध के साथ सेवन करें।

    • अगर आपके शरीर में दर्द है तो तुलसी के पत्तों का रस निकालकर पूरे शरीर पर मालिश करें। दर्द से राहत मिलेगी।
    • एक गिलास दूध में 4-5 लहसुन की कलियां उबालकर पीने से अर्थराइटिस के दर्द से राहत मिलती है।
    • अर्थराइटिस रोग होने पर लौंग के तेल को सरसों के तेल में मिलाकर मालिश करें।
    • प्याज के रस में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें।
    • रोज रात को लहसुन की कली को अरंडी के तेल (एक चम्मच) के साथ लेने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
    • सूखी अदरक को पानी में पीसकर जोड़ों पर लगाने से दर्द से राहत मिलती है।
    • अर्थराइटिस रोग में पीपल की छाल का काढ़ा लाभकारी होता है।
    • अर्थराइटिस के रोगी को कच्चे करेले का रस गर्म करके लेप करने से आराम मिलता है।
    • चावल और दूध में कुचला हुआ लहसुन डालें और गैस पर उबलने के लिए रख दें। जब खीर तैयार हो जाए तो उक्त खीर गठिया के रोगी को खिलाएं। आपको अर्थराइटिस रोग से राहत मिलेगी।
    • गठिया रोग में सरसों के तेल में अफीम और कपूर मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
    • 250 ग्राम पिसी हुई हल्दी में 50 ग्राम कुचला कबूतर की बीट मिला लें। अब 250 ग्राम तिल के तेल में 100 ग्राम अरंडी का तेल मिलाएं और इसमें उपरोक्त मिश्रण मिलाएं और तेल को धीमी आंच पर पकाएं। जब तेल पककर तैयार हो जाए तो इसे नीचे उतारकर छान लें और इसमें एक कप मिट्टी का तेल मिलाकर किसी बोतल में रख लें। अर्थराइटिस रोग में मालिश की शुरुआत सूजन वाले स्थान से करें और आगे तथा पीछे के जोड़ों पर भी हल्का दबाव डालें।
    • पीली कनेर का तेल अर्थराइटिस के दर्द के लिए फायदेमंद है।
    • वात रोग में अरंडी के तेल को महारास्नादि क्वाथ या दशमूल क्वाथ में मिलाकर पीने से लाभ होता है। केवल सोंठ के चूर्ण को अरंडी के तेल में मिलाकर पीने से भी अर्थराइटिस रोग में लाभ होता है।
    • अगर अर्थराइटिस रोग से पीड़ित व्यक्ति के जोड़ों में सूजन और दर्द हो तो सरसों को पीसकर लेप करें।
    • अगर आपके जोड़ों में दर्द है तो सरसों और तिल का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर मालिश करें।

    • एक किलोग्राम हल्दी को गर्म राख में भून लें, जब हल्दी अच्छी तरह भुन जाए तो इसे साफ कर लें।इसे बारीक पीस लें। इसमें एक किलो पुराना गुड़ और 200 ग्राम सूखा नारियल। इस मिश्रण में 250 ग्राम काजू या मूंगफली डालें।25-25 ग्राम के लड्डू बना लीजिये. काजू या मूंगफली को भी पीसकर मिला सकते हैं. प्रतिदिन सुबह-शाम 1-1 लड्डू खाते रहें। अर्थराइटिस रोग में आराम मिलेगा।
    • अमरूद के पत्तों को पीसकर लुगदी बना लें और अर्थराइटिस के रोगी के शरीर पर इसका लेप करें, लाभ होगा।
    • प्रतिदिन सुबह एक गिलास पानी में नींबू निचोड़कर पीने से गठिया रोग में लाभ होता है।
    • एक गिलास पानी में 25 ग्राम सूखे आंवले और 50 ग्राम गुड़ डालकर उबाल लें। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर दिन में दो बार पिएं। इस दौरान बिना नमक की रोटी और मूंग की दाल का सेवन करें।इसमें सेंधा नमक और काली मिर्च डालकर खाएं और हवा से बचें।
      गठिया के रोगियों के लिए टमाटर उपयोगी है।
    • पायजामे या पैंट की दोनों जेबों में एक छोटा आलू लगातार रखने से गठिया रोग से बचाव होता है। आलू खाना भी बहुत फायदेमंद होता है. भोभल में चार आलू सेंकें और फिर उन्हें छीलकर नमक और काली मिर्च डालकर रोजाना पकाएं। इसे खायें, इससे गठिया ठीक हो जाता है।
    • गठिया रोग में लहसुन खाने से लाभ होता है।
    • चौलाई का रस या सब्जी खाने से गठिया रोग में लाभ होता है।
    • गठिया रोग पर करेले का रस लगाएं और सब्जी खाएं। अगर आपके जोड़ों में दर्द है तो करेले की पत्तियों के रस से मालिश करें।
    • गुड़ में मेथी का पाक बनाकर खिलाने से गठिया रोग ठीक हो जाता है। चार चम्मच दानेदार मेथी को रात भर एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह पानी को छानकर गुनगुना ही पियें। गीली मेथी को गीले कपड़े में पोटली बनाकर रख लें। 24 घंटे बाद पैकेट खोलें. इससे अंकुर फूटेंगे। इस अंकुरित मेथी को बिना नमक-मिर्च डाले खाएं। ऐसा कुछ महीनों तक करते रहने से गठिया, गठिया, घुटनों का दर्द आदि में आराम मिलेगा।
    • गठिया रोग पेट में दबाव के कारण होता है। गठिया रोग में कब्ज से राहत पाने के लिए अरंडी के तेल का सेवन करें। इससे बलगम निकल जाएगा और गठिया से राहत मिलेगी।
    • गठिया रोग होने पर हल्दी के लड्डू खाने से लाभ होता है।
    • एक किलोग्राम गर्म पानी में चार चम्मच नमक डालकर उबालने से गठिया रोग में लाभ होता है।
    • दस ग्राम सोंठ को सौ ग्राम पानी में उबालें और ठंडा होने पर चीनी या शहद मिलाकर पिला दें।
    • नींबू का रस जोड़ों पर मलने से जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत मिलती है।
    • जोड़ों के दर्द और सूजन में संतरे का रस फायदेमंद होता है।
    • अजवायन के तेल से मालिश करने से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।
    • एक चम्मच सोंठ, आधा टुकड़ा जायफल – दोनों को पीसकर तिल के तेल में मिला लें, इसमें कपड़ा भिगोकर जोड़ों पर पट्टी बांधने से दर्द से राहत मिलती है।
    • इलायची के छिलकों को तकिये में भरकर लगातार आठ महीने तक दबाने से जोड़ों का दर्द ठीक हो जाता है।
    • कमर दर्द या शरीर में जोड़ों का दर्द हो तो सहजन की सब्जी फायदेमंद होती है।
    • जोड़ों में दर्द होने पर तरबूज का रस पीना चाहिए।
    • अजवाइन को सरसों के तेल में गर्म करके मलने से गठिया का दर्द ठीक हो जाता है।
    • लहसुन को पीसकर लगाने से शरीर के हर हिस्से का दर्द दूर हो जाएगा। लेकिन इसे जल्दी हटा लेना चाहिए अन्यथा छाले पड़ जाते हैं।
    • सरसों का लेप लगाने से हर तरह के दर्द से राहत मिलेगी।
    • अजवाइन को पानी में उबाल लें। इस पानी से दर्द वाली जगह पर भाप लें। कुछ ही देर में दर्द कम हो जाएगा।
    • कड़वे तेल में अजवायन और लहसुन को जलाकर उस तेल से मालिश करने से हर तरह के दर्द से राहत मिलेगी।
    • अगर पैरों या शरीर में दर्द और थकान है तो नहाने के गर्म पानी में अदरक का रस (दो बड़े चम्मच ) मिलाएं। थकान और दर्द दूर हो जाएगा।
      जोड़ों में दर्द हो तो अदरक का रस गर्म करके मलें।

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    गठिया बाय का रामबाण इलाज

      सोंठ और गिलोय को बराबर भाग में लेकर मोटा-मोटा पीस लें और दो कप पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी आधा कप रह जाए तो इसे उतारकर ठंडा कर लें और छानकर पी लें। इस प्रयोग को प्रतिदिन भोजन के एक घंटे बाद तक सेवन करें जब तक लाभ न हो। गठिया नामक रोग को ठीक करने के लिए यह सबसे अच्छा प्रयोग है।
      प्याज का रस और सरसों का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर नियमित रूप से मालिश करें।यह जोड़ों के दर्द में विशेष लाभकारी है।
      तुलसी के पत्तों के एक ग्राम रस में एक ग्राम पिसी हुई काली मिर्च, हल्का काला नमक और शहद मिलाकर चाटने से हर प्रकार का बुखार, गले की खराश, सर्दी, खांसी, सिरदर्द, दर्द, बदन दर्द और जोड़ों का दर्द दूर हो जाएगा।
      100 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम सुरंजान को 500 ग्राम दूध में रात को भिगो दें। सुबह सोंठ को निकालकर बारीक पीस लें और छान लें। 500 ग्राम घी में 1 किलो आटा भून लें, इसमें पिसी हुई सोंठ और 500 ग्राम चीनी डालकर अलग रख लें। प्रतिदिन 50 ग्राम 250 ग्राम दूध के साथ इसे खायें, इससे कमर दर्द और कमर दर्द में आराम मिलेगा
      लंबे समय तक गठिया रोग से पीड़ित लोगों को शहद का सेवन प्रचुर मात्रा में करना चाहिए। इससे बहुत लाभ होता है
      गठिया रोग में पहले दिन एक छिला हुआ एरंड का बीज लें, दूसरे दिन दो बीज , इस प्रकार सात बीज तक सेवन करें।फिर इसे प्रतिदिन एक-एक करके कम करके एक बीज तक ले आयें। इससे गठिया का दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।

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