टाँसिल को जल्दी कैसे ठीक करें? जानिए 50 Best उपाय

टाँसिल
टॉन्सिल को जल्दी कैसे ठीक करें?

टाँसिल (TONSILITIS) हमारे गले के पीछे टिश्यू (Tissue) की दो नर्म गांठ होती है। इनका मुख्य कार्य शरीर को इंफेक्शन से बचाना है। इंफेक्शन के संपर्क में आने के कारण इनमें सूजन की समस्या हो सकती है और इनके आकार में बदलाव हो सकता है।

टाँसिल के कारण-:

गले के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ लसिका ग्रन्थि जैसी एक-एक माँस की गाँठ होती है। टाँसिल के बढ़ने का कारण निशास्ते का अधिक प्रयोग। मैदा, चावल, आलू, चीनी, अधिक ठण्डा, अधिक खट्टा आदि का जरूरत से ज्यादा खाना। इन चीजों से अम्ल पैदा होता है तथा कब्ज रहने लगता है। टाँसिल बढ़ने का मुख्य कारण सर्दी लगना भी है। ऋतु परिवर्तन, रक्त की अधिकता, डिफ्थीरिया, आतशक, बाय का बुखार, गन्दी वायु और अशुद्ध दूध पीना आदि कारणों से भी यह बीमारी हुआ करती है।

टाँसिल के लक्षण-:

इस रोग में गले के काग (उपजिह्वा) में सूजन आ जाती है, जिसके कारण गले में पीड़ा, दुर्गन्धित श्वास, जीभ पर मैल चढ़ जाना, सिर दर्द, गर्दन के दोनों ओर की लसिका ग्रन्थियों की वृद्धि तथा उनको दबाने से दर्द, साँस लेने में कष्ट, शरीर में दर्द, स्वरभंग, बेचैनी, सुस्ती आदि लक्षण प्रकट होते हैं। रोग के प्रारम्भ में ठण्ड लगकर ज्वर आना, गले में दर्द, थूक निगलने में कष्ट। यह बीमारी प्रायः दुर्बल व्यक्तियों को होती है।

आयुर्वेदिक उपपचार :-

  • यदि गले में दर्द हो तो भी अजवायन के पानी के कुल्ले करें।
  • टाँसिल्ज तथा घेघा में गाजर का रस प्रतिदिन छोटा गिलास लगातार दोपहर के समय दो-तीन मास पीने से आशातीत लाभ होता है।
  • रात को सोते समय यह प्रयोग करना चाहिए। पिसी हल्दी और पिसी काली मिर्च आधा-आधा चम्मच, अदरक का ताजा निकाला हुआ रस 1 चम्मच तीनों को मिलाकर आग पर गरम करें और 1 चम्मच शुद्ध घी डालकर मिला लें। इसे थोड़ा ठण्डा करके चम्मच से लेकर चाट लें व ऊपर से गरम दूध पी लें। इसके बाद कुल्ला करके मुँह साफ कर लें पर पानी न पिएँ। इस प्रयोग से 2-3 दिन में ही लाभ हो जाता है।
  • गर्म पानी में ग्लिसरीन मिलाकर गरारे करने से टाँसिलाइटिस में लाभ होता है।
  • फिटकरी के चूर्ण की ग्लिसरीन के साथ रुई की फुरेरी से गले की तकलीफें दूर होती हैं।
  • टाँसिल के कारण गले की तकलीफ के लिए नमक के गर्म पानी का गरारा (गर्गिल) बहुत ही लाभदायक है।
  • फिटकरी कच्ची, हल्दी, मुलहठी और सोहागा फूला चारों पिसे हुए बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर शीशी में रख लें। इस मिश्रण का आधा चम्मच एक गिलास सहते-सहते गरम पानी में डालकर घोल लें और गरारे करें।
  • लाल फिटकरी कच्ची और माजूफल दोनों 10-10 ग्राम लेकर एक कप पानी में डाल कर उबालें। जब पाव कप पानी बचे तब उतार कर कपड़े से छान लें। ठण्डा करके दो चम्मच शहद या एक चम्मच ग्लिसरीन डाल दें। इसे शीशी में भर लें। रुई की फुरेरी इसमें डुबोएँ और फुरेरी गले में लगाकर मुँह नीचा कर लार टपकाते रहें। ऐसा दिन में दो-तीन बार करें। इससे दर्द व सूजन में आराम होता है।
  • गले में दर्द हो, सूजन हो, खराश हो, छाले हों तो तुलसी के पत्तों का रस शहद मिलाकर चाटने से बहुत आराम मिलता है।
  • गले में दर्द हो तो चाय बनाते समय उसमें कुछ तुलसी की मंजरियों और अदरक डाल दें, इस चाय को पीने से गले को राहत मिलती है।
  • गले में तुलसी की माला पहनने से टाँसिल व गले के रोग नहीं होते हैं।
  • पहले तो गर्म पानी में फिटकरी घोल कर गरारे करें। फिर शहतूत का रस पीयें। टाँसिल सामान्य अवस्था में आ जायेंगे।
  • गर्म पानी में फिटकरी घोलकर चुटकी भर नमक डालें। सुहाते गर्म पानी से गले में अन्दर तक गरारे करें। गले में सूजन, दर्द, टाँसिल फूला हुआ आदि सब सिकुड़ते जायेंगे। यदि गले की गिल्टियाँ ज्यादा फूल गई हों तो एक-एक घण्टे बाद गरारे करें।
  • कच्चे पपीते के रस (दूध) को पानी में मिलाकर गरारे और कुल्ले करने से बढ़े टॉसिल ठीक होते हैं।
  • एक गिलास गरम पानी में घर पर पिसी हुई हल्दी का चूर्ण तीन ग्राम तथा नमक 2 ग्राम डालकर गरारे करें। ऐसा दिन में तीन-चार बार करें।
  • ताम्बुल पत्र (पान-मीठा पत्ता) में लवंग, मुलेठी, पीपरमेंट लगाकर दिन में तीन-चार बार सेवन करें। पान का डंठल भी डाला जा सकता है।
  • चार रत्ती भुनी हुई फिटकरी का चूर्ण बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर, गरम पानी से प्रतिदिन तीन बार सेवनीय है, बहुत हितकारी नुस्खा है
  • गले में सूजन व दर्द होने पर हल्दी-चूर्ण आधा-आधा छोटा चम्मच प्रात-सायं गाय के दूध, शहद या जल के साथ दें।
  • टाँसिलाइटिस में सिघाड़े का कच्चा फल खाना लाभदायक होता है क्योंकि इसमें आयोडीन होता है।
  • टाँसिल, गले में सूजन होने पर अनन्नास खाने पर लाभ होता है।
  • टॉसिलाइटिस होने पर आधी गाँठ लहसुन को बारीक पीसकर गर्म पानी में मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है।
  • गले में काग (कौआ) की वृद्धि होने पर दालचीनी बारीक पीसकर अँगूठे से प्रातः काग पर लगायें और लार टपका दें। इससे काग-वृद्धि दूर हो जायेगी।
  • गल-मन्धिशोथ में शहतूत का शर्बत एक चम्मच एक कप पानी में मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है।
  • बड़ के पत्तों पर तेल लगाकर सेंक लें तथा सोंठ डालकर बाँधने से टॉसिल दूर हो जाते हैं।
  • 250 ग्राम दूध में आधा (2 ग्राम) चम्मच हल्दी तथ चौथाई चम्मच सोंठ चूर्ण डालकर 2-3 उबाली दें और छान लें। पीने लायक गरम रहने पर डेढ़ चम्मच पिसी हुई मिश्री या शक्कर मिलाकर रात्रि में सोते समय पीएँ। तीन-चार दिन से लटका हुआ काग (उपभाग) तथा उसकी वजह से दर्द तथा सूखी खांसी आदि ठीक हो जाएगी।
  • तिल का गुनगुना तेल कान में टपकाने से टॉन्सिल में लाभ होता है।

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