पेचिस एक प्रकार की सूजन है जो आंतों में होती है जिससे पेट में भयंकर दर्द और दस्त हो सकते है। इस प्रकार हम कह सकते है पेचिश एक दर्दनाक आंतों का संक्रमण है जो खून और बलगम के साथ पानी जैसा मल आने का कारण बनता है। ये बैक्टीरिया और पैरासाइट के कारण होता है। इस से रोगी की मृत्यु तक हो सकती है।
पेचिश के कारण
यह रोग मुख्यतः मक्खियों द्वारा फैलता है। रोगी के मल में रोग के कीटाणु मौजूद रहते हैं। मक्खियाँ इस मल पर बैठकर कीटाणुओं को अपने साथ ले जाती हैं और खाने की चीजों पर बैठकर उन्हें वहीं छोड़ देती हैं। उन चीजों को खाने वाले व्यक्ति के शरीर में कीटाणु प्रवेश कर जाते हैं और बीमारी पैदा करते हैं। जब कच्चा और बिना पचा भोजन लंबे समय तक पेट में रहता है, तो पाचन तंत्र खराब हो जाता है और पेट और आंतों के कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
पेचिश के लक्षण
पेचिश में बार-बार दस्त और पेट में ऐंठन होती है। मल के साथ बलगम आना। और कभी-कभी खून भी निकल जाता है।
ये दो प्रकार के होते हैं-
1. वैस्कुलर पेचिश
इसमें एक दिन में 25 तक डायरिया हो जाता है। इसका पेट बहुत ज्यादा कठोर हो जाता है। दस्त के साथ खून की अधिक हानि होने के कारण रोगी कमजोर तथा बुखारग्रस्त हो जाता है।
2. अमीबा पेचिश:
इसमें रोगी को पूरे दिन में 4 से 6 दिनों तक पेट में ऐंठन और दस्त की समस्या होती है। दस्त में आंव निकलता है। ऐंठन के साथ लाल या सफेद मल भी आता है।
आयुर्वेदिक उपचार
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- अनार का जूस पीना फायदेमंद होता है।
- गन्ने के रस में अनार का रस मिलाकर पियें।
- पेचिश रोग में आम की गुठलियों को पीसकर छाछ के साथ पीने से लाभ होता है। पुरानी पेचिश में काली गाजर का रस पीने से लाभ होता है।
- छाछ पीना भी पेचिश में फायदेमंद होता है।
- सौंफ को गर्म पानी में उबालकर, छानकर थोड़ा सा काला नमक डालकर दो-तीन बार धो लें।इसे पीने से पेचिश में आराम मिलता है। जामुन के पेड़ की 20 ग्राम छाल लेकर काढ़ा बना लें। इसमें दो तोला शहद मिलाकर पियें। यह दस्त और पेचिश में लाभकारी है।
- अगर आपके पेट में कीड़े हैं और आंव जैसी बनती हो तो रात को सोने से पहले दो सेब खाएं।
- सूखे आंवलों को रात भर भिगोकर सुबह पानी छानकर पी लें। एक महीने तक ऐसा करे पुरानी पेचिश मिट जाती है।
- कागजी नींबू की शिकंजी , ग्लूकोज पीना, दही के साथ मेथी खाना आदि से पेचिश में लाभ होता है।
- लगभग 1 ग्राम (या सहन करने योग्य मात्रा में) सोंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ लेना चाहिए। पुरानी पेचिश भी ठीक हो जाएंगी।
- खूनी पेचिश में जामुन के फल का रस, गुलाब जल बराबर मात्रा में और थोड़ी चीनी मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- इमली के बीज का लाल छिलका पेचिश और दस्त की उत्तम औषधि है।
- आठ-दस काली मिर्च पीसकर या चबाकर खाएं और एक गिलास पानी पी लें। इससे पेचिश में लाभ होगा।
- 20 ग्राम राल को पीसकर कपड़े से छानकर इसकी तीन पोटलियां बना लें। प्रतिदिन 200 ग्राम दही में चीनी मिलाकर रोगी को दें। तीन दिन में पेचिस ठीक हो जाएगी ।
- केले की फली को चीनी के साथ खायें. यह एक अद्भुत एवं अनोखी औषधि है।
- दो आम के गुठली और दस जामुन की गुठली को पीसकर पाउडर बना लिया जाता है। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिलाएं। दस-दस ग्राम चूर्ण की चार मात्रा बनाकर दिन में चार बार ताजे पानी के साथ पियें। खूनी पेचिश दूर हो जायेगी।
- पुरानी पेचिश में बेल का सूखा गूदा बहुत लाभकारी होता है। सूखी बेल को तोड़कर पानी में भिगो दो तो गुदा पानी में फूल जायेगा।
- एक मुट्ठी सूखे आंवले और डेढ़ तोला जीरा को घी में भून लें। फिर डेढ़ माशा भुनी हींग और थोड़ा सा सेंधा नमक लें और इन चीजों को मिलाकर पीस लें और अलग रख लें। दही को कपड़े में बांधकर लटका दें और पानी निचोड़कर ऊपर बताए गए मिश्रण को मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करें। इससे दस्त और अपच दोनों से जल्द राहत मिलेगी।
- पेचिश होने पर पके केले में थोड़ा सा भुना हुआ जीरा और एक चुटकी भर काला नमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
- खूनी पेचिश में मट्ठा के साथ एक चुटकी भर जावित्री का चूर्ण लेना रामबाण है।
- अनारदाना , सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बना लें। 2 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में चार बार देने से खूनी दस्त और खूनी आंव से राहत मिलती है।
- पाचन शक्ति कमजोर होने से खाना ठीक से पच नहीं पाता, जिसके कारण मल में दुर्गन्ध आने लगती है। ऐसे में काली मिर्च, जीरा, सोंठ, सेंधा नमक और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। प्रतिदिन भोजन के बाद एक चम्मच पानी के साथ सेवन करें। इससे खाना जल्दी पचेगा और पाचन क्रिया दुरुस्त रहेगी।
- अगर खाना ठीक से नहीं पचता और मल पतला और तैलीय होता है तो काली मिर्च और सेंधा नमक का प्रयोग करें।अजवायन, सूखा पुदीना और बड़ी इलायची को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और एक चम्मच सुबह भोजन के बाद पानी के साथ लें। कुछ ही दिनों में बहुत लाभ होगा।
- आंव से पीड़ित रोगी के लिए सुबह नाश्ते के बाद और दोपहर को भोजन के बाद छाछ में भुना जीरा और नमक मिलाकर सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है।
- सूखे संतरे के छिलके और मुनक्का के बीज बराबर मात्रा में मिलाकर पिलाने से रोगी का दस्त बंद हो जाता है। तीन-चार दिन तक लगातार इसका सेवन करने से आंव दूर हो जाती है।
- यदि आंव रोग हो, जिसमें मल की प्रवृत्ति कम हो और पेट में गैस अधिक बनती हो, तो भुनी हुई छोटी हरड़, अजवायन, सोंठ, पीपल, चित्रक और काला नमक को बराबर भाग में लेकर बनाया गया चूर्ण लाभकारी होता है। इसे एक-एक चम्मच दिन में तीन बार पानी के साथ लेना चाहिए।
- बेल का फल, नागरमोथा, धायफूल, मोचरस और सोंठ को समान भाग लेकर बनाए गए चूर्ण को 3-3 ग्राम की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से आंव के रोग में बहुत लाभ होता है।
- कच्चे अनार के फल का रस पीने से आंव रोग में बहुत लाभ होता है। रोजाना खाली पेट आधा कप जूस पीना चाहिए।
- धनिया, सोंठ, नागरमोथा, नेत्रवाला और बेलगिरी को समान भाग जो धान्यपंचक कहलाता है। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से दो-तीन सप्ताह में आंव का रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है।
- बेल की सूखी गिरी को ईसबगोल की भूसी के साथ मिलाकर 2 चम्मच सुबह-शाम सेवन करें।इसके सेवन से आंतों के रोगों में आराम मिलता है और आंतों की पाचन शक्ति और शोषण शक्ति बढ़ती है।
- आंव , खून और ऐंठन के साथ बार बार दस्त होते हैं, तो सबसे पहले एक चम्मच पीली हरड़ का चूर्ण (लगभग 4-5 ग्राम) और इसमें आधा चम्मच छोटी पीपल का चूर्ण मिलाकर दिन में दो बार सुबह खाली पेट लें। और रात को सोने से पहले. समय, दूसरे दिन से 3-4 दिन तक 1 चम्मच सफेद राल पाउडर में 1 चम्मच पिसी हुई चीनी मिलाकर पानी के साथ दिन में तीन बार लें। यह आंव खूनी दस्त को ठीक करने का यह आसान, सस्ता और तुरंत असर करने वाला घरेलू नुस्खा है।
- 100 ग्राम सौंफ को तवे पर भूनकर पीस लें। इसमें पिसी हुई मिश्री समान मात्रा में मिलाये । दो चम्मच सुबह-शाम भोजन के बाद ठंडे पानी के साथ लें। इससे कभी आंव नहीं होगी और पाचन शक्ति मजबूत रहेगी तथा खूनी पेचिश में लाभ होगा।
- पेचिश होने पर एक चम्मच नीम की पत्तियों के रस में मिश्री मिलाकर सेवन करें।
- आंव और दस्त के कारण होने वाली परेशानी से छुटकारा पाने के लिए भुनी हुई मेथी को दही छाछ के साथ सेवन करें।
- 10 ग्राम सूखा धनिया या हरी धनिया की पत्तियां और 10 ग्राम सौंफ को पानी में भिगोकर, कुचलकर, छानकर पीने से आंव दोष दूर हो जाता है। जलन, प्यास, पेशाब की जलन और बेचैनी दूर हो जाती है।
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इन विकल्पों को भी देखें
पेचिश होने पर सफेद राल और चीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ लेने से जल्द ही आराम मिलता है।,
काली मिर्च का बारीक चूर्ण शहद में मिलाकर चाटें और छाछ पियें या केवल छाछ के साथ ही लें।पुरानी पेचिश ठीक हो जाती है।, बरगद के दूध की 2-4 बूंदें नाभि में लगाएं और बरगद के पत्तो को 2-3 मिश्री के साथ पीसकर रोगी को दें, आराम मिलेगा।, पेचिश रोग में खजूर और दही खाने से लाभ होता है।
खूनी दस्त, आंव आदि में गाय के दही के साथ प्याज खाने से लाभ होता है। पेचिश और दस्त होने पर अंजीर को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर शहद के साथ रोगी को पिलाएं। तीन दिन में ही लाभ महसूस होगा।नींबू के पत्तों को पीसकर थोड़ी सी चीनी मिलाकर सेवन करने से पेचिश, आंव और बवासीर से राहत मिलती है।आंव के दस्त में 20 ग्राम इलायची को 5 ग्राम सेंधा नमक के साथ पीस लें। आधा चम्मच इसे पानी के साथ दो बार दें।
दो मुट्ठी चने के छिलकों को दो गिलास पानी में रात भर मिट्टी के बर्तन में भिगो दें, सुबह इसे छानकर पीने से खूनी आंव ,दस्त में लाभ होता है।
20 ग्राम फिटकरी और 3 ग्राम अफीम को पीसकर मिला लें। इसे सुबह और शाम रोगी को दाल के बराबर पानी के साथ दें। तीन घंटे बाद ईसबगोल की भूसी के साथ दें। आंव और खून आना बंद हो जाएगा। तुलसी के पत्तों को चीनी के साथ खिलाने से पेचिश ठीक हो जाती है।मूँग के बराबर अफीम को लहसुन की एक कली के साथ खाने से आंव दूर हो जाती है। भुनी हुई सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में पीसकर दो चम्मच ठंडे पानी के साथ हर दो घंटे में छह बार लेने से ऐंठन, आंव , पेचिश में लाभ होता है। सुबह खाली पेट दो चम्मच अदरक का रस पीने से पुराना आंव भी ठीक हो जाता है।गर्म दूध में एक चम्मच ईसबगोल भिगोकर रात को सोते समय इसका सेवन करें। सुबह इसे दही में भिगोकर फूला लें और इसमें नमक, सोंठ और जीरा मिला दें। चार दिन तक लगातार इसका सेवन करने से आंव आना बंद हो जाएगा।
आंव ऐंठन होने पर एक चम्मच ईसबगोल को ठंडे पानी में दो घंटे तक भिगोकर नियमित रूप से पिलाएं। 15 ग्राम सूखे अनार के छिलके और दो लौंग को पीसकर एक गिलास पानी में उबालें। आधा कप छानकर रोजाना तीन बार पियें। जिन लोगों को लगातार आंव की शिकायत रहती है या उन्हें पेचिस हो उन्हें विशेष लाभ होगा। नियमित सेवन करें।