अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है ,जानें इसका इतिहास

साल 1911 में डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, जर्मनी में पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सेलिब्रेट किया गया था। इसके बाद 8 मार्च, 1975 को संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी। इसके बाद से हस साल इस दिन को एक स्पेशल थीम के साथ मनाना शुरू किया गया।

8 मार्च 2022 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को क्षेत्र में सामाजिक कार्यों में अग्रणी द्वारा वित्त पोषित जन कल्याण समिति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि माननीया आकांक्षा राणा मुख्य विकास अधिकारी हरदोई उपस्थिति हुई।


कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्य अतिथि को भारत उन्नयन ट्रस्ट के ट्रस्टी व जन कल्याण समिति के संचालक अनुज कुमार सिंह ने प्रतीक चिन्ह देकर, व कार्यक्रम की आयोजिका स्वाति सिंह ने शाल देकर सम्मानित किया।संस्था की निदेशक व इस कार्यक्रम शीतला शक्ति की मुख्य आयोजक स्वाति सिंह ने नारी सुरक्षा, नारी सम्मान, नारी स्वावलंबन, जीवन के सभी क्षेत्रों में लैंगिक भेदभाव को खत्म करने की आवश्यकता हेतु महिला सशक्तिकरण पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। विभिन्न क्षेत्रों की कार्यरत महिलाओं के उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए गांव की मुखिया, जिला पंचायत सदस्य पूजा देवी जी, महिला सुरक्षा कर्मी, चिकित्सक आदि को प्रतीक चिन्ह व शाल देकर सम्मानित किया गया। IAS मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा राणा का महिलाओं के लिए खास संदेश
भारत उन्नयन ट्रस्ट
विभिन्न विभिन्न गांव की महिला शक्ति को आमंत्रित कर उनको सम्मानित किया गया जरूरतमंद महिला शक्ति को होली से पूर्व नए वस्त्र भेंट किए गए तथा उपस्थित प्रत्येक बालिकाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर सेनेटरी पैड का भी वितरण किया गया। संस्था के मैनेजिंग ट्रस्टी व समिति के संचालक अनुज कुमार सिंह ने मुख्य अतिथि आकांक्षा राणा जी की कार्यशैली की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए इस शीतला शक्ति कार्यक्रम मे बहुमूल्य समय देने के लिए उनका आभार व्यक्त किया सभी सदस्यों व महिलाओं को भी उन्होंने कोटि-कोटि धन्यवाद किया कार्यक्रम में प्रेमा देवी भारती वर्मा शिखा जी आदि मौजूद रहे।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास

महिला दिवस को मनाने के पीछे साल 1908 में न्यूयॉर्क में हुई एक रैली का अहम योगदान है। दरअसल, इस साल न्यूयॉर्क में 12 से 15 हजार महिलाओं ने एक रैली का आयोजन किया था। रैली करने वाली इन महिलाओं की मांग थी कि उनकी नौकरी के कुछ घंटे कम किए जाए। साथ ही उन्हें वेतन भी उनके काम के मुताबिक दिया जाए। इसके साथ ही इन लोगों की यह भी मांग थी कि उन्हें वोट देने का भी अधिकार मिले। इस आंदोलन के एक साल बाद अमेरिका के सोशलिस्ट पार्टी ने पहले नेशनल वीमेन डे की घोषणा की थी।
बाद में साल 1911 में डेनमार्क, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, जर्मनी में पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सेलिब्रेट किया गया था। इसके बाद 8 मार्च, 1975 को संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस को आधिकारिक तौर पर मान्यता दी। इसके बाद से हस साल इस दिन को एक स्पेशल थीम के साथ मनाना शुरू किया गया।
>लोग इस दिन जामुनी रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहचान अक्सर जामुनी रंग से होती है क्योंकि इसे ‘इंसाफ़ और सम्मान’ का प्रतीक माना जाता है.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की वेबसाइट के मुताबिक़, जामुनी, हरा और सफ़ेद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं.
वेबसाइट के मुताबिक़, ‘जामुनी रंग इंसाफ़ और सम्मान का प्रतीक है. हरा रंग उम्मीद जगाने वाला है, तो वहीं सफ़ेद रंग शुद्धता की नुमाइंदगी करता है.’
हालांकि इस रंग से जुड़ी परिकल्पना को लेकर विवाद भी है. महिला अधिकार कार्यकर्ता कहते हैं , “महिला दिवस से ताल्लुक़ रखने वाले इन रंगों की शुरुआत 1908 में ब्रिटेन में महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक संघ (WSPU) से हुई थी.”

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